
Salaar Review : महाभारत से मेल खाती है कहानी
Salaar Review: दुर्योधन को चाहिए थी राजा की कुर्सी लेकिन सामने वाले दुश्मन की ताकत बहुत ज्यादा थी उनके साथ खुद भगवान थे। अब ऐसे में लड़ाई होती तो दुर्योधन बुरी तरह हार जाता टुकड़े-टुकड़े करके मारा जाता लेकिन जब युद्ध हुआ तो लड़ाई जितना सोचा था,उससे बहुत ज्यादा लंबी चल गई। क्योंकि दुर्योधन के साथ कोई और भी था बोलो कौन- ‘महावीर कर्ण’, दोस्ती में ऐसे बंधे थे कि अपने दोस्त को पूरी दुनिया दिखाने का वादा कर दिया और ताकत ऐसी की भगवान कृष्ण की ताली बजाते बजाते थक जाए। लेकिन नील साहब ने इस कहानी में एक छोटा सा ट्विस्ट डालकर पूरे महाभारत की शक्ल को ही बदल दिया।

Salaar Review: इस लड़ाई में कर्ण दुर्योधन के पीछे नहीं बल्कि आमने-सामने खड़े हो गए हैं। जान देनी नहीं है एक दूसरे की जान लेनी पड़ेगी यह महाभारत प्रेम से नहीं तलवार से लिखी जाएगी। एकदम लाल अब जितना झटका आपको यह एक लाइन सुनकर लगा है उसको परेशान नील खतरनाक स्टोरी डिटेलिंग के साथ प्रेजेंट किया है। जिसमें बहुत सारे ट्विस्ट एंड टर्न छुपे हुए हैं। केजीएफ और केजीएफ 2 में काफी लोग शिकायत करते हैं कि मांस मांस मांस के अलावा कहानी तो कुछ स्पेशल नहीं है उनकी सारी शिकायत सालार के बाद दूर हो जाएगी।
Salaar review
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